Mrityunjay KashyapOct 251 min readHindi Literatureऔर बाक़ी हैग़म की बरसात और बाक़ी है, इक मुलाक़ात और बाक़ी है। बन चुकी दास्ताँ-ए-दिल पत्थर, फ़िर भी जज़्बात और बाक़ी है। कुछ सुना तुम करो सुनूँ मैं...
Mrityunjay KashyapOct 161 min readPoems And Storiesयाद हैआजकल यूँ सामने नज़रें चुराना याद है, क्या तुझे एहसान मेरा भूल जाना याद है। दिल लगाने से नए नातों को अब तौबा किया, बेवफ़ा होता हुआ रिश्ता...
Ishita DeyOct 84 min readTRIGGER WARNINGWarning: RAW Content Ahead. At almost 3AM in the morning when I am supposed to be half dazed after a long tiring day, an exposure to a...