और बाक़ी है
ग़म की बरसात और बाक़ी है, इक मुलाक़ात और बाक़ी है। बन चुकी दास्ताँ-ए-दिल पत्थर, फ़िर भी जज़्बात और बाक़ी है। कुछ सुना तुम करो सुनूँ मैं...
Iridescent
Life is iridescent, reflecting a spectrum of ever-changing, vibrant experiences.
और बाक़ी है
याद है
हाल-ए-दिल: 1
आँचल
मन में– 4. प्रतिकार
शिकायत के लिए
और मैं हूँ
मुझे ग़म नहीं
बंद आँखें तो इक बहाना हैं
दिल बेज़ार होगा
अश'आर जारी है
पौरुष
उसी की फ़ज़ल है
मानस निति कुंज- अयोध्याकाण्ड
भोपाल जंक्शन
एक छोटी कहानी
हमारा संविधान - कार्यपालिका
मानस निति कुंज - बालकाण्ड
अब घर याद आता है
काकी