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Word Of The Week
Iridescent
Life is iridescent, reflecting a spectrum of ever-changing, vibrant experiences.
Swarnim Kumari
Oct 7, 20234 min read
प्रतिबिम्ब
हम जिस संसार को सत्य मानते हैं, क्या वो सत्य है अथवा बस एक धोखा? इस पृथ्वी पर रह रहे सभी जीवों का जन्म यहाँ किसी न किसी वज़ह से हुआ है।...
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Mrityunjay Kashyap
Sep 7, 20236 min read
प्रायश्चित
बिहड़ बन में करते प्रवेश, पालें मन में भय क्लेश, ज्यों मनुष्य को भवसागर, शंका से ना राह उजागर, हरि नाम का एक अवलंब, काट करें कठिन कलुष...
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Shruti Priya
Sep 2, 20231 min read
चाय
हो हर सुबह की शुरुआत तुम, हो शाम की चर्चाओं का साथ तुम, चाय की बात ऐसी निराली है थके शरीर में ऊर्जा भरने वाली है! चाय के भी हैं अनेकों...
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Mrityunjay Kashyap
Aug 14, 20234 min read
‘मैं’ और ‘मेरा’
'मैं' और 'मेरा' की क्या परिभाषा, मन मान मरु मही को विपासा, चाहे चंचल चरित्र का चारू मुकुर, या स्वार्थ क्षुधा, लगता स्वाद मधुर। प्रधानता...
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Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20238 min read
कुटुम्ब (१)
1 वेद की गाड़ी लेट है। अब कोई ट्रेन समय पर आ जाए तो आश्चर्य होता है। सिस्टम के दोष तो है हीं, प्रकृति भी प्रतिकूल है। इधर कोहरा नहीं लग...
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Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20238 min read
घाट
(१) सूरज ने अब अपनी किरणों को समेटना आरंभ किया। अंबर लालिमा युक्त है। गंगा के साफ जल में जो प्रतिबिंब बन रहा है, वह प्रकृति की चित्रकला...
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Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20234 min read
संतोष
कामधेनुगुणा विद्या ह्ययकाले फलदायिनी। प्रवासे मातृसदृशा विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥ ~ चाणक्य नीति विद्या कामधेनु के गुणों वाली है। यह उपमा...
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Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20232 min read
मन में - 3. प्रवेश
दरबार में अद्भुत है शोभा आज, सजा है चारों ओर साजों-साज, हो रहा था बड़ा सम्मेलन, थे उपस्थित विशिष्ट ज्ञानी जन। आए थे पार कर प्रांत, थी...
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Mrityunjay Kashyap
Aug 13, 20238 min read
प्रेम, भक्ति और समर्पण
प्रेम, भक्ति और समर्पण- क्या आप इन तीनों को एकार्थी महसूस करते हैं अथवा क्या यें एक दूसरे के पूरक है? क्या एक का अस्तित्व बाकी दो के...
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Mrityunjay Kashyap
Aug 6, 20233 min read
মিথিলা (मिथिला)
1 माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है वाल्मीकि रामायण के श्लोक मुझे मेरी मातृभूमि के विषय में लिखने को प्रेरित कर रहा है ऐसा...
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Mrityunjay Kashyap
Aug 6, 20232 min read
व्यंजन
क्या हुआ जो मेरी इच्छाओं का सम्मान नहीं, प्रशंसा भले नहीं, कम से कम निंदा गान सही! क्या मेरा अस्तित्व है ? - स्वयं से यह सवाल, नहीं, क्या...
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Mrityunjay Kashyap
Jul 27, 20235 min read
आश्वासन
(1) जमना बड़ी देर बाद टहनियों का गट्ठा लेकर आई। बहुत थकी हुई मालूम होती है, हो भी क्यों ना! कड़ी धूप में पूरे जंगल घूम-घूम कर लकड़ियां...
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Mrityunjay Kashyap
Mar 30, 20231 min read
रघुनाथ का प्राकट्य
नवमी तिथि, शुक्ल पक्ष चैत्र मास, पावन काल जब चहुं ओर उल्लास, नर, नाग, धेनु, संत, सुर सम्पत हेतु, अवतरें मानवी वेष, बन रघुकुलकेतु! जिन...
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Mrityunjay Kashyap
Mar 8, 20231 min read
हे नारी !
श्रुति पट खोल सुनो हे नारी! यह संसार सकल तुम्हारा आभारी। प्रशंसा तुम्हारी कमतर कौन कहेगा, कहो समुंद्र कैसे कुंड में भरेगा ! सरिस हिम हर...
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Mrityunjay Kashyap
Feb 24, 202312 min read
सियासत की सुषमा
भारतीय राजनीति बहुत भाग्यवान रही है। शुरू से ही। इतने विविध विचारों के साथ न जाने कितने ही नेताओं और नेत्रियों ने जनमानस का साथ पाया। ।...
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EDITOR'S CHOICE
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