चाय
हो हर सुबह की शुरुआत तुम,
हो शाम की चर्चाओं का साथ तुम,
चाय की बात ऐसी निराली है
थके शरीर में ऊर्जा भरने वाली है!
चाय के भी हैं अनेकों रूप
अदरक वाली करे ठीक सर्दी ज़ुखाम,
नींबू वाली उनके लिए जो करते व्यायाम!
हो पापा के सर दर्द का इलाज तुम,
किसी के घर आने पर मम्मी की ये बात तुम,
" इतनी जल्दी क्या है, एक कप चाय हो जाए "
ये बोलते ही, गपशप पांच मिनट और चल जाय!
हर सफ़र के बीच रुक कर,
कुल्हड़ वाली चाय पीने में है इक अलग मज़ा
बारिश में दोस्तों के साथ बैठकर
चाय पकौड़े खा मन हो ताज़ा ताज़ा!
सब लोग तुझसे है जुड़े,
खास हो या आम,
हो मोदी या प्रफुल बिल्लौरे,
हो किसान या गली के छोरे
दीवाने चाय के इस कदर है दुनिया में,
जिनके लिए फीकी है चाय के आगे जाम,
जिस तरह तारे कितने ही हो
चांद के बिन नीरस है हर शाम |।
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