विचित्र एक भ्रम हैं रूप।
जटिल एक छल हैं रूप।
सौंदर्य एक दृश्य हैं रूप।
प्रत्यक्ष एक प्रतीक हैं रूप।
रमणीक एक आकृति हैं रूप।
बाह्य एक प्रकृति हैं रूप।
सुरम्य एक मुख हैं रूप।
सुडौल एक तन हैं रूप।
श्रेष्ठ एक आकार हैं रूप।
नेत्र सीमित एक सुख हैं रूप।
दर्पण की कैद हैं रूप।
काया की माया हैं रूप।
कुरूप का स्वप्न हैं रूप।
सुरूप का वर हैं रूप ।
श्वेत का गर्व हैं रूप।
अश्वेत की लज्जा हैं रूप।
गोरे की चमक हैं रूप ।
साँवले की हिचक हैं रूप।
संबंधों का निर्णायक हैं रूप , बाह्य गुणों का नायक हैं रूप
कंचन काया और मुख दीप्तिमान , रुपवान का बस यही अभिमान!
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