top of page
Writer's pictureMrityunjay Kashyap

अश'आर जारी है

मेरा ग़म-नाक वक़्त-ए-इम्तिहाँ-ए-अस्ल जारी है,

मना तू कामयाबी, आबरू जो तेरी प्यारी है।


मुरीद-ए-हुक्म था मैं दूद आतिश का उठा जो हो,

बुझी तज़्लील आब-ए-चश्म से हर एक चिँगारी है।


फ़िदा को आरज़ू-ओ-तिश्नगी-ए-फ़ज़्ल जिससे थी,

रजा-ए-रह्म उस क़स्साब से बद होशियारी है।


किया मंजूर बे-मन ही सही अपना नहीं कोई,

ज़माना काग़ज़ी कश्ती चढ़ी डूबी सवारी है।


मुझे क्या ग़म कि ना वज़्न-ओ-लिहाज़-ए-लफ़्ज़ मेरा है,

हुआ मैं कौन, पर रख याद कल को तेरी बारी है।


ज़हालत कम मेरी भी तो नहीं, बावर ज़बां पर जो,

नवा से सीरत-ए-चालाक कोयल भी बिचारी है।


ख़ुशी-ओ-ग़म कली एक ही गुलिस्ताँ में खिले बाहम,

भँवर ‘मुतरिब’ इधर हो या उधर अश'आर जारी है।


53 views0 comments

Recent Posts

See All

Comentarios


CATEGORIES

Posts Archive

Tags

bottom of page