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ए सफर पर जाने वालों

ए सफर पर जाने वालों

रात की गहरी नींद से

ख्वाबों को चुनने वालों

कल्पना के रोशन कमरे में

अफ़साने बुनने वालों


भावों की फुलवारी से

प्रीत चुराने वालों

टूटे बिसरे रागों से

गीत बनाने वालों


यादों वाली शाख से

पत्ते तोड़ने वालों

तसव्वुर के दरिया का

रास्ता मोड़ने वालों


हर खामोश लब की

जुमबिश पढ़ने वालों

हश्र और हयात की

साजिश करने वालों


खोल किवाड़ दिल के

अंदर बसर कर जाने वालों

हो सके, तो कुछ देर और रुक जाओ

ए सफर पर जाने वालों


दरीचो की दरारों से

रोशनी लेने वालों

खोह के अंधेरे कोनों को

चाँदनी देने वालों


हिजरत के मोतियों का

हार बनाने वालों

आँसू की बूंदों से

आबशार बनाने वालों


नाउम्मीद बुतों को

चाह दिखाने वालों

भटकी फिसली रूहों को

राह दिखाने वालों


रवानगी के प्लेटफॉर्म से

बिछड़ कर जाने वालों

इस हौले खुलती रेल से

हाथ हिलाने वालों


अब बुनना नई कहानी तुम

ए लफ्ज़ो के मतवालो

हो सके तो कुछ देर और रुक जाओ

ए सफ़र पर जाने वालों

ए सफर पर जाने वालों

ए सफर पर जाने वालों....


- मयंक


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