दिल बेज़ार होगा
- Mrityunjay Kashyap
- Mar 22, 2024
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Updated: Mar 23, 2024
किस भरम में ख़ुश हुए थे हुस्न का दीदार होगा,
ख़्वाब जिसका राज़, अनक़ा का कहीं इज़हार होगा!
भूल कर भी चैन ना हो वो ख़याल-ए-दिल तेरा है,
बिन इलाज-ए-नफ़्स दर्द-ए-इश्क़ दिल बीमार होगा।
कोशिशें कम ना रही होंगी, मुक़द्दर बेवफ़ा था,
हो खुदा ही जो रक़ीब-ए-इश्क क्या इकरार होगा?
पैरहन हो तू मेरे जिस्म-ए-बरहना-ओ-जवाँ का,
बिन तपिश कमबख़्त रात-ए-सर्द में लाचार होगा।
जो गुल-ए-बाग़-ए-बहार-ओ-मुश्क-बू जैसे खिले तू,
मजलिस-ए-शब में महक का काम फिर बेकार होगा।
है नहीं शर्म-ओ-हया बाज़ार में उल्फ़त करूं मैं,
बंद कमरे में तुझे क्या इश्क़ का पिंदार होगा?
चाहकर भी क्यों नहीं लफ़्ज़-ओ-अमल करते इहानत,
क़ाबिल-ए-दर्द-ओ-सज़ा दिल ही मेरा गद्दार होगा।
बन मुलाक़ात-ए-सनम का मुंतज़िर मैं राह देखूं
आश्नाई में तेरी रोज-ए-क़यामत पार होगा।
थक गया है राब्ता-ए-इश्क़ इक-तरफ़ा से ‘मुतरिब’,
फ़िक्र उनको है नहीं, इस फ़िक्र दिल बेज़ार होगा।
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