top of page
  • LinkedIn
  • Facebook
  • Instagram

नज़्म  -  तुम हो...


 मन मुज़महिल, ग़मों से लबरेज़ है

मुझे इस घर के आईनों से गुरेज़ है

जहाँ में तेरे सिवा, कोई खुदा नहीं जानता 

अक्स न हो जिसमें तेरा, उसे आईना नहीं मानता


सहर की पहली धूप देखू, तो तेरे लबों की सिलवटें याद आती है 

शब की तीरगी तेरी ज़ुल्फों की स्याही सी लगती है 

तेरे चश्मे के चिलमन से झाँकती ये तेरी नज़रे, 

किसी घने दश्त में छिपी झील सी आँफ़री है 

तेरे रुखसार पे फ़बती ये गुलाबी रंगीनियाँ, 

कहीं बर्फ़ीले मंज़रो में खिलते गुलों से वाबस्ता है 

तेरी अवाज़ सुनता हु तो ऐसा लगता है, 

रागिनी पिघल तेरे गले में आ बसी हो 

तू मुस्काती है तो मानो खलाओं के सय्यारे, 

तेरे तबस्सुम की रौनक बन जाते है 


तुझे देखता हू तो, 

साँसे रुक जाती है 

गाल लाल पड़ जाते है 

होंठ थर्राते है 

पर्द-ओ-पेश के मंज़र ये सारे 

दूधिया से कुहासे में धुंधले पड़ जाते है 


तह ब तह छील पर्तें अफ़ाक की 

तेरी तस्वीर सी उकेरता हू 

तुझे नहीं देखता फ़िर भी,

हर जगह तुझे ही देखता हू 

सरहद ये मेरे कल्ब-ओ-नज़र की 

सिफ़र में तेरे गुम हो 

पलट के देखो ये किताब - ए - हयात 

हर वरक - ए - जिगर में तुम हो

बस तुम हो.......


मेरा दिन मेरी रात बस तुम हो 

मेरी जीत मेरी मात बस तुम हो  

मेरा आयाम मेरा मकाम बस तुम हो 

मेरी कलम मेरा कलाम बस तुम हो 

मेरी नगमा मेरा निगार बस तुम हो 

मेरा दरगाह मेरा मज़ार बस तुम हो 

मेरा दैर - ओ - हरम बस तुम हो 

मेरी रूह मेरा करम बस तुम हो 

मेरी लफ्ज़ मेरी जु़बाँ बस तुम हो 

मेरी ज़मी मेरा मकाँ बस तुम हो 


मेरी आशिकी, मेरी मौसीक़ी

मेरी ज़िंदगी, मेरी बंदगी 

मेरी अल्पना, मेरी कल्पना 

मेरी साधना, मेरी भावना 

मेरी चाहते, मेरी राहतें 

मेरी हसरतें, मेरी हैरते 

मेरी आदत, मेरी इबादत 

मेरी अस्मत, मेरी किस्मत 

मेरा पाना, मेरा खोना 

मेरा हँसना, मेरा रोना 

मेरी वुस'अते, मेरी निस्बते 

मेरी आहटे, मेरी हरकते 

मेरी दिशा, मेरी दशा 

मेरी भूख, मेरा नशा 

जो हो बस तुम हो 

जहाँ हो बस तुम हो.....


तुम मल्हारो की शाहकार हो

तुम शगुफ़्तगी का खुमार हो 

तुम ताबीर कोई रूहानी हो 

तुम आकांक्षाओं की रानी हो 

तुम मुरादों की तहरीर हो 

तुम मौज़ज़ा सी तस्वीर हो 

तुम तस्मो की रेशम हो 

तुम पत्तों की शबनम हो 

तुम रास्ता नाहीदा हो 

तुम रूह - ए - ख्वाबीदा हो 


जहाँ रोशनी आती है तुम हो 

जहाँ नज़रे जाती है तुम हो 

हर मंदिर में हर मूर्त में तुम हो 

हर इंसा में हर सूरत में तुम हो 

मेरी पूजा का अर्पण तुम हो 

मेरे ख्वाबों का दर्पण तुम हो 

ये रोशन सारी फ़िज़ाए तुम हो 

ये ठंडी पावन हवाएँ तुम हो 

मेरे दृग का चितवन तुम हो 

मेरी प्रीत का सावन तुम हो 


मेरा माज़ी - ओ - मुस्तकबिल तुमसे 

मेरी काया, मेरा जौहर, मेरा दिल तुमसे 

मेरी दीनदारी, मेरी रवानी तुमसे 

मेरी अनकही, अधूरी हर कहानी तुमसे 


पर सच का ख्याल नहीं है मुझको

ऐसी भी कोई बात नहीं 

उचक के छूलू चाँद का दामन 

इतनी मेरी बिसात नहीं 


सदाकत हमे याद दिलाती

ये शिगाफ़ -  ए - हकीकत जो दरमियाँ है 

रज़ा - ए - मोहब्बत कभी मुकम्मल नहीं होती 

हर हारे सुखनवर की यही दास्ताँ है 


मेरे तसव्वुर के किसी रोशन कमरे में

तेरी यादों की मसहरी के तले 

ख्यालो की धानी चादर ओढ़े 

मैं सपनों की रेशम को चुनता रहूँगा 

इस कलम की स्याही घटती रहेगी 

तेरे ख्वाबों का पैरहन मैं बुनता रहूँगा 


ये दरख्त, ये बेल, ये गुल सब्ज़ रहे 

तेरी यादों का दश्त और घना हो जाए

हम लिखते रहे बस तुझे और तुझको 

और यू ही इक दिन हम फ़ना हो जाएँ 


क्योंकि, 

जो हो बस तुम हो 

बस तुम हो....... 


- मयंक 





Comments


CATEGORIES

Posts Archive

Tags

HAVE YOU MISSED ANYTHING LATELY?
LET US KNOW

Thanks for submitting!

 © BLACK AND WHITE IS WHAT YOU SEE

bottom of page