भूल गए - एक ग़ज़ल
- Mayank Kumar
- Jul 31, 2023
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भूल गए वो राह पुरानी, वो मैखाना भूल गए
बस एक नज़र देखा तुझको, हम ज़माना भूल गए
यार इश्क तो हुआ तुमसे कुल दो बरस पहले
बात दबी रही जिगर में बस बताना भूल गए
तेरे कूचे को ही अपना दैर - ओ - हरम बना लिया
अपना रब माना तुझको, हम मंदिर जाना भूल गए
राखी की तस्मे टूट गई, हीना की लाली ढल गई
कुछ मुसाफ़िर जो थे सरहद पे, घर को आना भूल गए
ए वक्त तेरी दौड़ ने, इंसा को क्या बना दिया
सब घर चलाना सीख गए, परिवार बनाना भूल गए
दहर तेरे सुतूँ - ए - उसूल कितने एक जैसे है
बेटे की मोटर याद रही, बिटिया का खाना भूल गए
यार शिकस्त कितना तेज़ है, तेरी शीर का ज़ायका
हमेशा मुस्काने वाले हम भी, हसना गाना भूल गए
न जाने रोशन जीवन में, कब अंधेरा छा गया
शमा मेज़ पर पड़ी रह गई, हम लौ जलाना भूल गए
रूह ये मेरी राफ्ता - राफ्ता रोज़ थोड़ी मरती है
पैकर पड़ा नुमून चिता पे आग लगाना भूल गए
- मयंक
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