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शिकायत के लिए

क्यों चाह ना हो तेरी सूरत के लिए,

तू है ज़रूरी दिल की सेहत के लिए।


हर बात यूँ मुझसे कहा ना तुम करो,

अच्छा नहीं ये मेरी आदत के लिए।


इस खेल में कल हार होनी है तेरी,

है चाहिए ईमाँ मुहब्बत के लिए।


क्यों डर 'अज़ाब-ए-क़ब्र का होगा मुझे,

तेरी नज़र ही काफ़ी दहशत के लिए।


मैंने छिपाएँ दर्द है दिल में बहुत,

मुस्कान तो चेहरे पे ग़ैरत के लिए।


इंसाफ़ होगा इस जहाँ में ना मेरा,

बे-सब्र है ये दिल क़यामत के लिए।


क्यों कामयाबी सिर्फ़ तेरा ज़श्न हो,

इक नज़्म नाकामी की दावत के लिए।


थोड़ी बड़ी दोजख़ बनाना तू ख़ुदा,

क़ाबिल नहीं इन्सान जन्नत के लिए।


मन‌ में बसे तेरे अगर भगवान हो,

मूरत नहीं लाज़िम इबादत के लिए।


मुतरिब मनाया कर ख़ुशी कुछ पल कभी,

है ज़िन्दगी छोटी शिकायत के लिए।





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