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स्वाधीन भारत अखंड है


आ गया काल आज फिर अमर

उस स्वाधीन गान को गाने का 

फिर उठा शीश को महासमर में 

पांचजन्य बजाने का 

जब फूट मरीचि अरुण बाण से 

संपूर्ण धरा पर छायेगी

तब दारुण शिलाएं भी प्रेम से 

राष्ट्रगान को गायेगी

गौरव गाथा वीरो की

भारत फिर दोहराएगा 

देख लहराते राष्ट्र ध्वज को

हिमालय भी झुक जाएगा 

और सुन ले गर्जन ये संसार 

हम सकल एक प्रखंड है 

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी 

स्वाधीन भारत अखंड है 


जब प्रलय घनघोर वो आया था 

जब काल विकराल वो छाया था 

जब पश्चिम में सूरज उगता था 

अंग्रेजों के नाम पे ढलता था

तब भारत माँ के आँगन में 

गोरो का सिक्का चलता था 

तब तिमिर छाया था घनघोर 

हर तरफ बस मचा था शोर 

निरशन विषण्ण बिल्लाते थे

पीड़ा ग्रस्त चिल्लाते थे 

कुचल कर भूखों की पुकार 

तब सत्ता लेती थी डकार 

ब्रिटिश राज की सह को पाकर

ढलता नहीं था वहाँ दिवाकर 

आखिर काल के विधान पे 

इस सूरज को चलना था 

आज नहीं तो कल ही सही 

इसको भी आखिर ढलना था 


फिर उठा इक दिन दिवाकर 

फिर निकल आयी इक भोर 

बैरकपुर में बजा नगाड़ा 

फूट पड़ा क्रांति का शोर 

मंगल वाणी में कहा मंगल ने 

नहीं चलेगी खून की होली 

न काटूगा कारतूस तुम्हारा 

चाहे सीने में दाग दो गोली 

बोल पड़ी मर्दानी महलों की 

चाहे दे दो मुझको फाँसी 

या फिर चीर दो सीना मेरा 

नहीं मैं दूँगी अपनी झाँसी 

और भारत का जनाधार 

क्रांति के बोल तब बोल गया 

उन्नीस वर्ष का खुदीराम 

जब हँसकर फांसी पर डोल गया 

जाते जाते बोल गया आज़ाद 

की सदा आज़ाद रहूँगा 

हवा भी भूल न पाएगी मुझको 

यादो में आबाद रहूँगा 

शहीद हुए बोस और भगत

ले आए प्रलय की आँधी 

उठा लाठी पर बिना चलाए

 ये जंग जीत गये गाँधी 

आज उनकी कुछ याद करो

जो माटी में सिमट गए 

और गिरा काया तलवारों पे 

बिन कुछ माँगे कट गए 

आज उनके स्मरण में 

लहू से पवन प्रचंड है 

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी 

स्वाधीन भारत अखंड है 


अखंड हम है

 अखंड काल है 

अखंड वो गंगा का पानी 

अखंड अस्थियां,

 अखंड विविधता 

अखंड है सारी कुर्बानी 

अखंड मंत्र है 

अखंड विधान है 

अखंड लोकतंत्र है 

अखंड ध्वज है 

अखंड दंड 

अखंड गणतंत्र है 

हे ईश्वर मालिक हे दाता 

हे जगतनियंता दीन बंधु 

हे परमेश्वर हे भगवन 

हे प्रतिपालक हे दया सिंधु 

जब तक मानव में प्राण रहे 

जब तक तत्वों का मान रहे 

जब तक नीति निधान रहे 

जब तक गीता का ज्ञान रहे 

जब तक सूरज चंदा चमके 

तब तक ये हिन्दुस्तान रहे 


वतन ये हम वतन परस्त 

अटूट ये संबंद्ध है 

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी 

स्वाधीन भारत अखंड है

-मयंक


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