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মিথিলা (मिथिला)

1 माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है वाल्मीकि रामायण के श्लोक मुझे मेरी मातृभूमि के विषय में लिखने को प्रेरित कर रहा है ऐसा करना ना केवल मेरा दायित्व है अपितु मेरी रुचि भी दायित्व अथवा रुचि में प्राथमिकता किसे इस विभाग में तो तब ना पढ़ा जाए जब दोनों एक दूसरे के विरोधी मुझे अभी यह धर्म संकट नहीं है मेरी मातृभूमि मिथिला है

मिथिला वर्तमान काल में बिहार राज्य के उत्तर पूर्व में स्थित इलाका है साथ ही इसमें नेपाल राष्ट्र के भी लड़के हैं झारखंड के संथाल क्षेत्र में भी मिथिलाक और उसकी संस्कृति का प्रभाव देखने को मिलता है परंतु यह भूमि या क्षेत्र के विषय में लिखा नहीं है और ना ही मिथिला केवल भूमि ही यह तो संस्कृति आदर्शों ज्ञान का सागर है मां सीता की जन्म स्थली है विदुषी गार्गी और महा ऋषि याज्ञवल्क्य के शास्त्रार्थ साक्षी है लोकगीतों का मधुर संग्रहालय है चित्रकला की मनोरमा विभूति है मां भगवती बाबा बैद्यनाथ की उपासना स्थल मिथिला मिथिला की अपनी भाषा मैथिली है ब्लिपी तिल होता है पोशाक धोती कुर्ता और पाग है मैथिली भाषा को हमारे देश के संविधान की आठवीं अनुसूची में के अंतर्गत अनुसूचित भाषा होने का संवैधानिक गौरव भी प्राप्त है

मिथिला शब्द की उत्पत्ति वैदिक काल के राजा निमि के पुत्र मेथी के नाम से है महर्षि वशिष्ठ के शाप के कारण राजा निमि दी है रहित हो गए 55.20 21 महाराज निम्मी के रहित शरीर का मंथन कर उत्पन्न होने के कारण उनके पुत्र मीठी कहलाए एवं ऋषि द्वारा प्रकट किए जाने के कारण वे जनक कहलाए चेतना शून्य शरीर से उत्पन्न विजय नाम से भी प्रसिद्ध हुए इन्हीं विदेहराज जनक मेथी की पूरी मिथिला और वंशज मैथिल हुए 57.17 20 आगे चलकर राजवंश का कुल नाम ही जनक हो गया इसी वंश में ह्रस्वरोमा के 2 पुत्र सीरध्वज और कुष्ध्वज हुए यही सीता के पिता मिथिलेश्वर जनक विश्वविख्यात है

जनक सुता जग जननी जानकी अतिशय प्रिय करुणानिधान की

माता सीता का प्राकट्य मिथिला की भूमि से हुआ है इसीलिए सीता यहां मां नहीं बेटी मैथिली है। विदेह राज की कन्या वैदेही मिथिला का गौरव है राजा रामचंद्र पाहुन अर्थात दामाद हैं आज भी मिथिला में हर विवाह राम सीता के विवाह की विधि से ही होता है राम सीता विवाह के गीत वैवाहिक संस्कार के अभाज्य अंग हैं शादी के हफ्ते भर पहले से लेकर महीने भर तक अनेकों गीतों का उन्माद सुनाई देता है





इन विभिन्न गीतों में राम सीता विवाह के प्रसंगों राम जी से विनती गाली अथवा सीता जी के विभिन्न मनोभावों के दृश्य का वर्णन मिलता है

ना केवल लोकगीत अथवा मिथिला के विशिष्ट चित्रकला में भी राम सीता की प्रथम भेंट धनुष भंग विवाह के विभिन्न प्रसंग को दर्शाया जाता है मिथिला पेंटिंग या प्रमुख रूप से कहा जाए तो पारंपरिक रूप से प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है एक पशु का भी मिथिला की संस्कृति में हिस्सा है मछली हर दूसरी मधुबनी पेंटिंग में आपको मछली देखने को मिल ही जाएगी मछली मिथिला में बहुत शुभ मानी गई

सन्मुख आदि अरुण मीना कर पुस्तक दूरबीन प्रवीणा

यह चौपाई श्री राम जी की बरात के प्रस्थान के विषय में लिखी गई है दही मछली और दूध ब्राह्मण हाथ में पुस्तक लिए बारात के सामने आए

मिथिला के अधिकतम घरों में कुलदेवी मां भगवती मां भगवती मिथिला की आराध्या और बाबा बैद्यनाथ आराध्य हैं हर संस्कार प्रस्थान आगमन में मां भगवती के दर्शन किए जाने की परंपरा हर घर में एक भगवती घर होता है जहां रोज सुबह शाम पूजा अति आवश्यक रूप से होती है शादी विवाह से पूर्व एवं बाद में गौरी पूजन का भी विधान है यह प्रचलन सीता जी से आशीर्वाद की कामना से गौरी पूजन करती है इसी प्रकार झारखंड में देवघर बाबा बैद्यनाथ धाम मिथिला का प्रमुख तीर्थ है स्वाभाविक ही है दोनों ही मिथिला लोक गीतों का हिस्सा होंगे ही तो लीजिए मैं आपको इन्हीं कुछ गीतों के साथ छोड़ जाता हूं




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